मेरे बारे में About me :
नाम-डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर',
जन्मतिथि-2 जुलाई 1957,
शिक्षा-बी.-एस.सी.(बायो), एम.ए.(हिन्दी), पी.-एच.डी.(हिन्दी),
सम्प्रति-सैब मिलर ग्रुप की कम्पनी स्कॉल ब्रिवरीज लिमिटेड, मेंरठ से 28वर्ष के कार्यकाल के बाद 4 जनवरी 2010 में सात वर्ष पूर्व ही सेवा से मुक्त होकर ज्योतिष, पत्रिका सम्पादन एवं पुस्तक लेखन में संलग्न हो गए। वर्तमान में ज्योतिष निकेतन सन्देश(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक) पत्रिका का सम्पादन एवं स्वतन्त्र लेखन, सन् 1977 से अर्थात् 33वर्षों से ज्योतिष के कार्य में संलग्न।
अन्य विवरण पुरस्कार आदि - विभिन्न विषयों पर 67 पुस्तकें प्रकाशित एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन। राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख, कहानियां एवं कविताएं प्रकाशित। युववाणी दिल्ली से स्वरचित प्रथम कहानी 'चिता की राख' प्रसारित। युग की अंगड़ाई हिन्दी साप्ताहिक में उप-सम्पादक का कार्य किया। क्रान्तिमन्यु हिन्दी मासिक में सम्पादन सहयोग का कार्य किया। भारत के सन्त और भक्त पुस्तक पर उ.प्र.हिन्दी संस्थान द्वारा 8000/- रू. का वर्ष 1995 का अनुशंसा पुरस्कार प्राप्त। रम्भा-ज्योति(हिन्दी मासिक) द्वारा कविता पर 'रम्भा श्री' उपाधि से अलंकृत। चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1989 में ज्योतिष बृहस्पति उपाधि से अलंकृत। पंचम अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1991 में ज्योतिष भास्कर उपाधि से अलंकृत। फ्यूचर प्वाईन्ट द्वारा ज्योतिष मर्मज्ञ की उपाधि से अलंकृत।
मेरा कथन-'मेरा मानना है कि जीवन का हर पल कुछ कहता है जिसने उस पल को पकड़ कर सार्थक बना लिया उसी ने उसे जी लिया। जीवन की सार्थकता उसे जी लेने में है। सार्थकता सदैव जीवन में रचनात्मकता लाती है और आप जीवन में कुछ विशेष करते हैं जो आपको दूसरों से अलग करता है।'
जन्मतिथि-2 जुलाई 1957,
शिक्षा-बी.-एस.सी.(बायो), एम.ए.(हिन्दी), पी.-एच.डी.(हिन्दी),
सम्प्रति-सैब मिलर ग्रुप की कम्पनी स्कॉल ब्रिवरीज लिमिटेड, मेंरठ से 28वर्ष के कार्यकाल के बाद 4 जनवरी 2010 में सात वर्ष पूर्व ही सेवा से मुक्त होकर ज्योतिष, पत्रिका सम्पादन एवं पुस्तक लेखन में संलग्न हो गए। वर्तमान में ज्योतिष निकेतन सन्देश(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक) पत्रिका का सम्पादन एवं स्वतन्त्र लेखन, सन् 1977 से अर्थात् 33वर्षों से ज्योतिष के कार्य में संलग्न।
अन्य विवरण पुरस्कार आदि - विभिन्न विषयों पर 67 पुस्तकें प्रकाशित एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन। राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख, कहानियां एवं कविताएं प्रकाशित। युववाणी दिल्ली से स्वरचित प्रथम कहानी 'चिता की राख' प्रसारित। युग की अंगड़ाई हिन्दी साप्ताहिक में उप-सम्पादक का कार्य किया। क्रान्तिमन्यु हिन्दी मासिक में सम्पादन सहयोग का कार्य किया। भारत के सन्त और भक्त पुस्तक पर उ.प्र.हिन्दी संस्थान द्वारा 8000/- रू. का वर्ष 1995 का अनुशंसा पुरस्कार प्राप्त। रम्भा-ज्योति(हिन्दी मासिक) द्वारा कविता पर 'रम्भा श्री' उपाधि से अलंकृत। चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1989 में ज्योतिष बृहस्पति उपाधि से अलंकृत। पंचम अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1991 में ज्योतिष भास्कर उपाधि से अलंकृत। फ्यूचर प्वाईन्ट द्वारा ज्योतिष मर्मज्ञ की उपाधि से अलंकृत।
मेरा कथन-'मेरा मानना है कि जीवन का हर पल कुछ कहता है जिसने उस पल को पकड़ कर सार्थक बना लिया उसी ने उसे जी लिया। जीवन की सार्थकता उसे जी लेने में है। सार्थकता सदैव जीवन में रचनात्मकता लाती है और आप जीवन में कुछ विशेष करते हैं जो आपको दूसरों से अलग करता है।'